रिश्वतकांड में घिरे हरियाखेड़ा के भाजपा समर्थित सरपंच जितेंद्र पाटीदार को पद से हटाया
अब अगले 6 साल तक चुनाव भी नहीं लड़ सकता पूर्व सरपंच पाटीदार

जिला पंचायत सीईओ शृंगार श्रीवास्तव ने सुनवाई पूरी होने के बाद लिया एक्शन
रतलाम. रिश्वतकांड में घिरे हरियाखेड़ा के सरपंच जितेंद्र पाटीदार को जिला पंचायत सीईओ ने पद से हटा दिया है। साथ ही अगले 6 साल के लिए चुनाव लड़ने से भी अयोग्य घोषित कर दिया है। जिला प्रशासन की तरफ से मंगलवार को यह जानकारी मीडिया से साझा की गई।
दरअसल ग्राम पंचायत हरियाखेड़ा (जनपद पंचायत पिपलोदा) के सरपंच जितेंद्र पाटीदार के खिलाफ पिंटू मुनिया (मैनेजर हर्ष इंफ्रास्ट्रक्चर कंपनी) निवासी रतलाम ने आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ इकाई (ईओडब्ल्यू) उज्जैन को शिकायत की गई कि ग्राम पंचायत हरियाखेड़ा से 200 डंपर मुरम की आवश्यकता होने से खनिज विभाग की अनुमति प्राप्त करना है। उसके लिए ग्राम पंचायत हरियाखेड़ा से अनापत्ति प्रमाण पत्र की मांग की गई। इस पर सरपंच जितेंद्र पाटीदार के द्वारा अनापत्ति प्रमाण पत्र जारी करने के बदले रिश्वत की मांग की। इसी शिकायत के आधार पर ईओडब्ल्यू की टीम ने 23 जनवरी 2025 को जावरा में यातायात पुलिस चौकी के पास पहुंचकर कार्रवाई की। ईओडब्ल्यू ने सरपंच जितेंद्र पाटीदार को 20 हजार रुपए की रिश्वत लेते हुए 23 जनवरी 2025 को गिरफ्तार किया और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1981(संशोधित 2018) की धारा 7 के तहत प्रकरण पंजीकृत किया। इसकी प्रति एफआईआर प्रेषित करते के लिए सरपंच के विरुद्ध आवश्यक कार्रवाई हेतु लेख किया गया।
उक्त आधार पर सरपंच जितेंद्र पाटीदार के विरुद्ध जिला पंचायत रतलाम में धारा 40 के तहत सुनवाई हुई। प्रकरण में अनावेदक सरपंच पाटीदार की समुचित सुनवाई उपरांत प्रकरण में सरपंच पाटीदार को एक लोक सेवक होकर कार्य के बदले रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ पकड़े जाकर भ्रष्टाचार में लिप्त होने का दोषी पाया जाना प्रमाणित पाया गया।
जितेंद्र पाटीदार को लोकहित में पद पर बने रहना अवांछनीय पाया जाने के कारण सीईओ जिला पंचायत श्रृंगार श्रीवास्तव द्वारा मध्य प्रदेश पंचायत राज एवं ग्राम स्वराज अधिनियम 1993 की धारा 40 (1)का (ख) के तहत पाटीदार को ग्राम पंचायत हरियाखेड़ा के सरपंच पद से पृथक किया गया है। ऐसा व्यक्ति इस अधिनियम के अधीन निर्वाचन के लिए 6 वर्ष की काल अवधि के लिए निरर्हित हो जाएगा।
जितेंद्र पाटीदार भाजपा समर्थक है और कई बड़े नेताओं से भी अच्छे संबंध स्थापित किए लेकिन रिश्वतकांड ने कुर्सी छिन ली।