सिद्धि तप की तपस्या शुरू हुई, इसमें 180 तपस्वी ले रहे हैं भाग

साध्वी भगवंत डॉ अमृतरसा श्री जी ने कहा अगर हमारे भाव बिगड़ेंगे तो हमारा भव बिगड़ना सुनिश्चित है

सिद्धि तप की तपस्या शुरू हुई, इसमें 180 तपस्वी ले रहे हैं भाग

पीपली बाजार उपाश्रय पर हुई धर्मसभा

जावरा. हम अपनी पांचों इंद्रियों के गुलाम है और उनके वशीभूत होकर ही हम बुरे कर्मों को अंजाम देते है। हमें ना ही अनावश्यक बातों को सुनना है और ना ही देखना। हमें अपने भावों को शुद्ध रखना है। अगर हमारे भाव बिगड़ेंगे तो हमारा भव बिगड़ना सुनिश्चित है। 84 लाख जीव योनि में केवल 58 लाख जीवों को ही परमात्मा ने सुनने की शक्ति दी है। हमें अपनी इंद्रियों पर नियंत्रण रखना है। 

यह उदगार साध्वी भगवंत डॉ अमृतरसा श्री जी म्हारासा ने पीपली बाजार उपाश्रय पर धर्मसभा को संबोधित करते हुए कहे। साध्वी भगवंत जीनागरसा श्री जी साम्रादित्य महाकाव्य का पाठन कर रहे है। जिसमें गुणसेन और अग्नि शर्मा की कथा चल रही है।

 मीडिया प्रभारी अरविंद जैन एवं अतुल सुराणा ने बताया कि सिद्धि तप तपस्या प्रारंभ हो गई है। लगभग 180 तपस्वियों ने इस तपस्या में भाग लिया है। दोपहर में सभी सिद्धि तप तपस्वियों की सुख साता पूर्वक तपस्या संपन्न हो इसलिए अभिमंत्रित कलश की स्थापना की गई। इन सभी तपस्वियों को कलश वितरित किए जाएंगे। जिसका लाभ श्रीमती हेमलता प्रवीण, विकास वन्याक्या परिवार ने लिया। लाभार्थी परिवार द्वारा प्रत्येक तपस्वी के कलश में एक एक चांदी की गिन्नी भी भेट की गई। श्री संघ अध्यक्ष अजीत चत्तर एवं चातुर्मास समिति अध्यक्ष धर्मेंद्र कोलन ने कहा कि साध्वी भगवंत के चातुर्मास से श्री संघ में बहुत ही हर्ष व्याप्त है और हमारे श्रीसंघ में पहली बार इतने सिद्धितप हो रहे है, जो अपने आप में एक रिकॉर्ड है। श्री संघ के सभी सदस्य उत्साह और इस चातुर्मास को ऐतिहासिक बनाने में अपना अमूल्य योगदान दे रहे है। तपस्वियों के बियासने हेतु जो नखरे तय किए गए उसका लाभ भी श्री संघ सदस्यों ने उत्साह के साथ लिया।