भगवान महावीर स्वामी ने आत्मोद्धार के लिए बताया साधना का मार्ग : श्री जिनचंद्रसुरिश्वरजी

परमात्मा ने हमें साधनों से दूर रहकर साधना के मार्ग पर चलने का ज्ञान प्रदान किया
जावरा. भगवान महावीर स्वामी ने हमें आत्मोद्धार के लिए साधना का मार्ग बताया है। जैन धर्म में इसीलिए सामायिक का बड़ा महत्व है। हम सामायिक की क्रिया तो करते हैं लेकिन उसके लिए निर्धारित नियमों का पालन नहीं करते है। सामायिक को विधिपूर्वक करना ही साधना है।
खरतरगच्छाधिपति, जंगम युगप्रधान १००८ पूज्य श्री जिनचंद्रसुरिश्वरजी म. सा. ने यहां पीपली बाजार जैन मंदिर स्थित खरतरगच्छ उपाश्रय पर आयोजित धर्म सभा में यह बात कही। आपने कहा कि हम नित्य को छोड़कर अनित्य को ही सब कुछ समझ बैठे। यही हमारे सभी दुःखों का कारण है।परमात्मा ने हमें साधनों से दूर रहकर साधना के मार्ग पर चलने का ज्ञान प्रदान किया है। यही वह मार्ग है जो हमे आत्मस्वरूप का बोध करा कर मोक्ष मार्ग की ओर ले जा सकता है।
इस मौके पर यति अमृतसुन्दर जी, यति सुमतिसुन्दर जी, आर्या संकितप्रभा श्रीजी ने भी अपनी बात कही। प्रारम्भ में कुशल महिला मंडल द्वारा मंगलाचरण एवं स्वागत गीत प्रस्तुत किया गया। स्वागत भाषण श्रीसंघ अध्यक्ष प्रदीप चौधरी ने दिया।खरतरगच्छ श्रीसंघ द्वारा श्रीपूज्य जी को कामली ओढाई गई। इस अवसर पर आज़ादसिंह ढड्ढा, शांतिलाल मेहता, हिम्मतसिंह श्रीमाल, अभय कोठारी, प्रदीप लोढ़ा, सुशील जैन, नवनीतसिंह श्रीमाल, ललित जैन, कमल जैन, प्रकाश कोठारी, विजय बोरदिया, पंकज मेहता, आशीष धारीवाल, आशीष दासोत, विजय ढड्ढा सहित बड़ी तादाद में धर्मालुजन उपस्थित रहे। संचालन श्रेयांश जैन (बीकानेर) ने किया। आभार संजय तलेरा ने माना।